डॉ मनमोहन सिंह : 1991 में भारत का अर्थनैतिक भाग्य बदलनेवाला वो हीरो

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भारत के 13वे प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह इकोनॉमिक्स में बड़े पंडित है। जिसका शिक्षा उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से प्राप्त किया था। प्रधानमंत्री होने से पहले डॉ मनमोहन सिंह ने संयुक्त राष्ट्र संघ और भारत सरकार की कई बड़े बड़े मंत्रालय के साथ साथ रिज़र्व बैंक के गवर्नर , योजना आयोग का चेयरमैन भी रह चुके थे।

जब 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था टूट रही थी तब मनमोहन सिंह ने कई सारे नए नीति लाये जिस से भारत का अर्थव्यवस्था फिर से उभर के आये। इसके अंदर हैं – लाइसेंस राज को हटाना , विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नई नीति लाना, औद्योगिक नीति, बाजार से एकाधिकार को हटाना। उन समय के विरोधी दल के नेताओं ने उनके अर्थनीति को न समझकर बहुत समालोचना किया था। लेकिन डॉ सिंह अपने सिद्धांत पर डटे रहे और कुशलता से काम किया था। उनकी उस समय के सिद्धांतो के लाभा आज देश को मिल रहा हे , ऐसा अर्थनैतिक बिशेषज्ञों का कहना है।

कांग्रेस पार्टी के 2004 चुनाव जितने के बाद अस्वाभाविक रूप से डॉ मनमोहन सिंह को भारत का प्रधानमंत्री चुना गया था। 2004 से 2014 तक 10 वर्ष के लिए उस पद पे थे। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद डॉ मनमोहन सिंह दूसरे प्रधानमंत्री थे जो लगातार 2 बार सत्ता पर विराजमान हुए थे। उनके शासनकाल में , भारत अपने अर्थनैतिक इतिहास के सबसे ज्यादा ऊंचाई पर 9% GDP के साथ पहुँच गए था। उसके साथ साथ भारत दुनिया के सबसे प्रगतिशील देशों की श्रेणी में आ गया था। उनकी सभी परियोजनाओं में निम्नलिखित बहुत महत्वपूर्ण थे – National Employment Gurantee Act (MGNREGA)-2005
National Rural Health Mission(NRHM)-2005; Unique Identification Authority (AADHAR)-2009
Right To Information  Act (RTI)-2005
Right to Children to Free and Compulsory Act-2009
Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act-2013

इनमे से RTI Act- भ्रस्टाचार के खिलाफ बहुत सफल साबित हुआ है। MGNREGA- गरीबो के लिए काफी राहत दिया हैं। NRHM- जनता के स्वास्थ्य में सुधार लाने में महत्वपूर्ण योगदान किया हैं।
राजनीति में अचानक पैर रखनेवाला एक व्यक्ति से भारत को बहत कुछ मिला। लेकिन उन्होंने इन सबका हक़ कभी भी माँगा नहीं। एक साधारण व्यक्ति की तरह ही उन्होंने अपने काम को अंजाम देते रहे।

वह कम बोलते थे लेकिन काम से अपना सठिक परिचय देते थे । ऐसा ही था इन भाग्य बदल देनेवाला अर्थनैतिक विशेषज्ञ, राष्ट्रनेता का जीवन।

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