ऋषि सुनक, कमला हैरिस और भारतीयता की विजय

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कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति चुनी गईं यह खबर पुरानी हो चुकी है, आपको यह भी याद ही होगा कि कमला हैरिस की पार्टी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प की पार्टी को हराकर सत्ता प्राप्त की थी.. डोनल्ड ट्रम्प के पक्ष में माहौल बनाने के लिए हमारे प्रधानमंत्री जी ने भी बहुत कोशिश की थी, अमेरिका जाकर यह तक कहा कि “अबकी बार ट्रम्प सरकार!!” लेकिन फिर भी ट्रम्प हार गए.
खैर, आज आप गर्व कर सकते हैं कि कमल हैरिस दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र की उपराष्ट्रपति हैं. अब आप फिर से गर्व कर सकते हैं क्योंकि भारतीय मूल के ऋषि सुनक अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.आपके व्हाट्सप्प पर ऋषि सुनक के बारे में सबकुछ आ ही चुका होगा। उनके भारतीय दर्शन और भारतीय परम्परा के विद्वान या विद्यार्थी होने की बजाय “हिन्दू दर्शन”, “हिन्दू परम्परा” के मुरीद होने का ज्ञान आ चुका होगा और इसे हिंदुत्ववादी विचार के अधिपत्य का नया अध्याय बता दिया गया होगा.. तथाकथित आर्टिकल के साथ ऋषि सुनक और भारत माता की फोटो भी आ गई होगी और आपको फिर से गर्व करने का अदेश दे दिया गया होगा.. सम्भवतः कुछ लोगों ने आदेश की अनुपालना भी आरम्भ कर दी होगी.
मैं जानना चाहता हूँ-
क्या हमें गर्व करना चाहिए??
क्या ऋषि सुनक भारतीय हैं??
क्या कमला हैरिस भारतीय हैं??
क्या इन दोनों के उन पदों पर आसीन होना भारत के लिए महत्वपूर्ण है??
किसी “भारतीय मूल” के व्यक्ति का अमेरिका या ब्रिटेन को चलाना हमारे लिए गर्व की बात क्यों है??
क्या ब्रिटेन और अमेरिका हमसे बेहतर है??
इन प्रश्नों के उत्तर आप खोजें उससे पहले मैं आपकी गलतफहमी दूर देना चाहता हूँ कि इन दोनों का उन पदों तक पहुँचना भारत या भारतीयों के लिए उपलब्धि नहीं है क्योंकि वे दोनों ही अमेरिकी और ब्रिटिश हैं, ये भारतीय मूल की नहीं अमेरिकी और ब्रिटिश लोकतंत्र की जीत है!!
यह घटनाएं आपको बताती है कि वहाँ के लोगों की अपने संविधान और लोकतंत्र में कितनी आस्था है!!
यह आपके गाल पर तमाचा है!!
उन डरे हुए लोगों के गाल पर तमाचा है जो मानते हैं किसी मुसलमान के भारत का प्रधानमंत्री बनने पर हिंदुओ का जीना मुहाल हो जाएगा!!
यह तमाचा है उन अविश्वासी लोगो के गाल पर जिन्हें भारतीय संविधान, नीति और भारतीयता पर विश्वास नहीं है!!
यह अमेरिकी लोकतंत्र और ब्रिटिश लोकतंत्र की जीत है..
यह बताता है कि जिस ब्रिटेन ने पूरी दुनिया में नस्लवाद फैलाकर हुकूमत कायम की थी आज वह किस हद तक उससे उबर चुका है!! और भारत आज भी तीसरी दुनिया बना हुआ सांप्रदायिकता का नंगा नाच कर रहा है..
यह सबूत है कि दुनिया आज 2022 में जी रही है और हम 1947 में अटक गए हैं. हम विश्वगुरु होने का कितना ही दम भरे लेकिन हम आज भी हम दोगले ही हैं.. हम अपनी असफलताओं का ठीकरा सत्तर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर साल पर फोड़ते हैं, हम पूजते गाँधी को हैं लेकिन…
खैर आप गर्व कीजिये।

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