बैकुंठ शुक्ल (1907-1934) एक महान भारतीय राष्ट्रवादी और क्रांतिकारी थे। वह योगेंद्र शुक्ल के भतीजे थे, जो हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के संस्थापकों में से एक थे।
उन्हें फणींद्र नाथ घोष की हत्या के लिए केवल 28 वर्ष की उम्र फांसी दी गई थी, जो एक सरकारी गवाह बन गया था, जिसकी गवाही के कारण भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी।
बैकुंठ शुक्ल ने स्वतंत्रता संग्राम में 1930 के नमक सत्याग्रह में सक्रिय रूप से भाग लेने के साथ बहुत ही कम उम्र में शुरू किया गया था। वह हिंदुस्तान सेवा दल और एचएसआरए जैसे क्रांतिकारी संगठनों से जुड़े थे। भारतीय क्रांतिकारियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 1931 में लाहौर षडयंत्र मामले में मुकदमे के परिणाम स्वरूप फांसी की सजा पूरे देश को हिलाकर रख देने वाली घटना थी। जिसका बदला बैकुंठ शुक्ल ने अंग्रेजों के मुखबिर फणींद्र नाथ घोष की हत्या कर के लिया
बैकुंठ शुक्ला का जन्म 1910 में मुजफ्फरपुर जिले के जलालपुर गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव में प्राप्त की और गाँव मथुरापुर में एक निम्न प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बन गए। उन्होंने 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और पटना कैंप जेल में कैद रह। उन्हें गांधी-इरविन समझौते के बाद अन्य सत्याग्रहियों के साथ रिहा किया गया था। बाद में वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी के सदस्यों के संपर्क में आ कर क्रांतिकारी बन गए ।
ऐसे महान क्रांतिकारी को उनकी पुण्यतिथि पर शत शत नमन ।