राहुल गाँधी के एक चुनावी रैली में दिए गए भाषण में “मोदी” शब्द को एक अलग कॉन्टेक्स्ट में रखकर उनके खिलाफ एक फैसला सुनाया गया। उस फैसले के चंद घण्टों के भीतर उनकी संसद सदस्यता को भी रद्द कर दिया गया। इसके लिए राजनाथ सिंह सरीखे सिंसियर राजनेता से भी संसद में वह कहलवाया गया जो राजनाथ जी कभी नहीं कहते।
राहुल गाँधी ने विदेश में क्या कहा इस पर जाने का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि जो राहुल गाँधी ने विदेश और रैली में कहा, हालाँकि दोनों अलग बातें है लेकिन उनपर फैसला तुरंत लिया गया है, उससे भी निकृष्ट स्तर की बातें हो चुकी है।

लेकिन भारत सरकार/ मोदी सरकार/ BJP सरकार के इस स्तर तक राजनैतिक दुश्मनी निकालने का लाभ राहुल गाँधी को ही हो रहा है।
पहले तो सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ माहौल बनाने के लिए सैंकड़ों करोड़ खर्च किये गए। उस समस्त व्यवस्था से भी राहुल गाँधी ने लड़ाई की थी। अन्ततः राहुल गाँधी ने भारत जोड़ो करके उस सैंकड़ो करोड़ के विनियोग पर पानी फेर दिया। राहुल एक उच्चशिक्षा प्राप्त व्यक्ति हैं यह तो उनके विरोधी भी मानते हैं। तो विदेशों में उनके वक्तव्य होते रहते हैं।
उनके बढ़ते कद से परेशान केंद्र सत्ता ने उनकी सदस्यता को निरस्त करवाने का प्लान बनाया ताकि वे भारत जोड़ 2 ना कर सके।
लेकिन वे इस बात को भूल गए भारत में व्यवस्था से लड़ने वाले लोगों को नायक बना या मान लिया जाता है। राहुल गाँधी के खिलाफ केंद्र सत्ता समस्त शक्तियों का प्रयोग कर चुकी हैं। अब राहुल PM बनेंगे या नहीं। फिर से सांसद भी बनेंगे या नहीं।
लेकिन वे भारतीय राजनीति के नायक ज़रूर बन जाएंगे।