
शीर्षक पढ़कर गलतफहमी मत पाल लेना कि मैं अटल जी और मोदी जी में कुछ समानताओं का आंकलन करने वाला हूँ क्योंकि दोनों में कोई समानता है ही नहीं सिवाय इसके कि दोनों एक ही पार्टी और संगठन से नाता रखते हैं। दोनों ने ही शाखा में चड्डी पहनी थी, लाठी भी घुमाई थी। अटल जी ने कभी मर्यादा नहीं लाँघी और मोदी जी ने कभी मर्यादा निभाई नहीं। खैर..
आज अटल जी मुझे याद आये मोदी जी द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य योगीनाथ जी.. क्रुद्ध न होइए यह नाम योगी जी को मोदी ने ही दिया है खैर.. आदित्य योगीनाथ जी के संदर्भ में मोदी जी ने कहा.. नहीं योगीनाथ जी के नहीं, आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के संदर्भ में मोदी जी ने कहा- “उत्तर प्रदेश ने कोरोना से युद्ध नम्बर एक तरीके से लड़ा.. योगीनाथ जी ये योगीनाथ जी वो.. योगीनाथ जी की तारीफ की गंगा बहा दी!! गंगा में तैरती लाशें निकालकर पेट्रोल टायर डालकर जला दी गई है या गिद्ध, चील, कौवे और जानवर खा गए उन लाशों को?? यह भी जाँच का विषय हो सकता है।
अपराधियों द्वारा किये जा रहे अपराधो में कमी आई है.. मैं सहमत हूँ, अब उत्तर प्रदेश में अपराध अपराधी नहीं करता अब वहां अपराध ‘तंत्र’ करता है। वहां का तंत्र अपराध के साथ कर्मकांड भी करता है, आधी रात को लाश फूँक दिया करता है।
पहले किसी को भय होता तो वह पुलिस के पास जाता था..अब SP अपनी जान की भीख और हुड़दंगियों के हाथ मे बम/बंदूक से अपनी रक्षा की अपील विधायक महोदय से करते हैं।
त्रेता का रामराज्य का तो नहीं पता लेकिन द्वापर युग की सबसे शर्मनाक घटना ज़रूर दोहराई गई, महिला के सरेआम अपमान की घटना.. मैं थोड़ा ज़्यादा शर्मिंदा हूँ, अतः वह हरकत लिख नहीं सकता लेकिन आप समझ गए होंगे।
पूरे देश के बराबर NSA और UAPA इकलौते राज्य में लगाये गए। समान रूप से बुजुर्ग-जवान, महिला-पुरुष, गर्भवती-युवती किसी तरह का भेदभाव नहीं किया गया सभी को कानून का पालन और शासक का सम्मान करना सिखाया गया। अब आप NSA और UAPA पीड़ितों के सम्प्रदाय और जातिगत आँकड़े पेश मत करना वरना आप पर भी इन दोनों में से कोई एक्ट ठुकवा दूँगा।
गोरखपुर!! हाँ वही गोरखपुर!! जहाँ सनातन/हिन्दू धर्म की सर्वाधिक धार्मिक पुस्तकें छपती हैं, वहीं सरकारी तंत्र की नाकामयाबी के कारण ऑक्सीजन की कमी से जान गंवाते बच्चों को अपनी रिस्क पर विभिन्न गैर सरकारी और सरकारी अस्पतालों में शिफ्ट करवाया ताकि बच्चे बच सके.. उनके सरकारी तंत्र पर इस अविश्वास की सज़ा उन्हें दी गई बढ़िया पेलाई की गई।
इससे भी विराट उपलब्धियां हैं जिन्हें मेरी निम्नतर कलम बांध नहीं पाएगी।
ऐसी उपलब्धियों को छोड़कर मोदी जी जोश में इधर-उधर नहीं बिल्कुल कहीं और ही निकल गए। योगीनाथ जी की पता नहीं कौनसी उपलब्धि प्रधानमंत्री जी गिनवाना चाहते थे, जो उन्हें भी नहीं पता लेकिन कोई तो उपलब्धि है योगीनाथ जी की, खोजकर बताएंगे।
चुनाव आने से पहले तो खोज ही लेंगे। नहीं तो मुरादाबाद, बाराबंकी के बाद किसी और जगह मस्जिद गिराई जाएगी और उपलब्धि बनाई जाएगी। उस उपलब्धि में नरसंहार या अल्पसंख्यक महिलाओं का अपमान या किसी दलित के साथ.. मतलब समझ गए ना!! उपलब्धि बनाई भी जा सकती है।
अब तक आपने सोच ही लिया होगा.. अटल जी क्यों नहीं आये अब तक.. तो मैं सोच रहा था अगर अटल जी आज प्रधानमंत्री होते और योगीनाथ जी की जगह मोदी जी मुख्यमंत्री होते तो क्या आज भी अटल जी(प्रधानमंत्री) मोदी जी(मुख्यमंत्री) को “राजधर्म” निभाने की सलाह देते??
जैसे 2002 नरसंहार के समय दी थी।
क्या मोदी जी योगीनाथ जी को राजधर्म निर्वहन की सलाह देंगे??
सम्भवतः बदले में योगीनाथ जी मोदी जी को ही झाड़ पिला दें!! पहले खुद अपना राजधर्म निभाओ बाद में पराई पंचायती करना!!
खैर
“घर घर भगवा छायेगा, राम राज्य फिर आएगा”
को इन्होंने
“भगवा कलंकित किया जाएगा, राम नाम बेच खायेगा”
कर दिया गया है।
जय भारत
योगेश कुमार आचार्य