भगवान महावीर.. की प्रमुख शिक्षा.. अहिंसा.. आपको लगता होगा कि आज भी मैं महावीर भगवान के साथ गाँधीजी को भी याद करूंगा.. आधुनिक युग में जहां भी अहिंसा की शक्ति की बात आती है, वहां गाँधीजी याद आ जाना स्वाभाविक ही है.
लेकिन आज मैं गांधी जी के बारे में बात नहीं करूंगा क्योंकि वे आउट ऑफ फैशन होते जा रहे हैं. आज मैं बात करना चाह रहा हूँ, हमारे जीवन में अहिंसा की आवश्यकता के बारे में आज जब आपको और आपकी अगली पीढ़ियों को खून बहाने के लिए उकसाया जा रहा है तब आपको अहिंसा की शक्ति का ज्ञान होना आवश्यक है. आज कोई गीता की भी चर्चा करता है तो भी वह कहता है कि अर्जुन तू युद्ध कर.. यहाँ अपने अधिकारों के लिए युद्ध की बात हो रही है क्योंकि उक्त युद्ध तंत्र के अंतर्गत लड़ा गया था.. आप पर किसी ने अन्याय किया है तो आप गीता को उदाहरणार्थ देखकर अन्यायी को मार नहीं सकते.. वह प्रतिशोध हो जाएगा। अन्यायी को तंत्र द्वारा दण्ड ही न्याय होता है। हमने यहां बात को गलत रूप से ले लिया है.. क्या आप महाभारत का एक भी योद्धा ऐसा बताएंगे जिसका वर्णन हो और उसका वध हुआ हो!!
जी हाँ!! महर्षि व्यास ने इस बात का ध्यान रखा है कि महाभारत में वीरगति को प्राप्त किसी भी महायोद्धा का वध नहीं हुआ है.. सबकी हत्या हुई है!! क्योंकि वह धर्म अधर्म का युद्ध नहीं था, वह कौरवों का पारिवारिक मामला था, जिसे श्री कृष्ण ने धर्मयुद्ध का नाम दे दिया और उसे नरसंहार का केंद्र बनवा दिया.. कृष्ण कभी भी खुद राजा नहीं बने जबकि वे राजा निर्माता अवश्य थे.. किंगमेकर.. यह बात दीगर है कि लिखित इतिहास में युद्घिष्ठिर से अधिक प्रजापालक और श्रेष्ठ राजा नहीं हुआ.. खैर, इस इस सारे मसले का लब्बोलुआब बस इतना है कि युद्ध या नरसंहार से धर्म की स्थापना नहीं होती अगर किन्हीं परिस्थितियों में हो जाए तो भी वह धर्म नहीं हो सकता क्योंकि उसमें से सड़ी हुई लाशों की बू अवश्य आएगी. युद्ध से कभी मानव कल्याण हो ही नहीं सकता.. तब धर्म तो जीवन का आधार है धर्म से ही कल्याण सम्भव है तो धर्मयुद्ध रक्तपात रहित होने पर ही धर्मयुद्ध माना जाए।
गाँधी जी के हत्यारे को सही साबित करने के लिए उस संत की छवि का बलात्कार किया गया। आज उनके मानव कल्याण के दृष्टिकोण को ध्वस्त किया जा रहा है। आपको हिंसक बनाकर तब आपको अहिंसा की अतिआवश्यकता है जबकि आपको हर घर में एक हथियार रखने को प्रेरित किया जा रहा है.
हथियारों के दाम देकर खरीदी गई शांति क्षणिक होती है अर्जुन ने भी दिव्यास्त्र जमा किये थे लेकिन.. क्या वह अपनी संतानों को बचा पाया??
आज हम इतना विध्वंस एकत्र कर चुके हैं कि धरती को 2016 बार खत्म कर सकते हैं.. लेकिन आज जीवन बचाने के लिए अस्त्रों की नहीं औषधि की खोज हो रही है..
आपकी संतानों को बचाने के लिए हथियार काम नहीं आएंगे उन्हें उन्मुक्त ज्ञान ही बचा पायेगा
और जब आप अपनी सन्तान को उन्मुक्त ज्ञान के लिए सज्ज करेंगे वह स्वतः ही व्यर्थ रक्तपातिक विचारों से मुक्त हो जाएगी.
अहिंसा और दया कमजोरों के शब्द हैं.. आपमें यह भाव प्रत्यारोपित/इंजेक्ट कर दिया गया है जबकि सत्यता यह है कि आपके अंदर की हिंसा और प्रतिहिंसा आपको ही अंदर से खा जाती है….
लेख अधूरा छोड़ रहा हूँ चाहता हूं आप स्वयं विचार कर इसे पूरा करें..
(भगवान महावीर स्वामी के जन्मदिवस पर लिखा गया लेख.. लेकिन सदा प्रासंगिक।)
जय भारत
योगेश कुमार
अहिंसा की आवश्यकता
Date:
Disclaimer :- This post is independently published by the author. Infeed neither backs nor assumes liability for the opinions put forth by the author.