मिल्खा सिंह : सिख जो उड़ते थे

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मिल्खा सिंह, एक व्यक्ति जिसके जरिये ही भारत को मिला था दौर की मैदान में पहचान।

1947 में बटवारा के समय, सिंह अपने परिवार को खोके अनाथ जैसा हो गया था। हालांकि बाद में कुछ दिन के लिए मिल्खा सिंह ने अपने एक शादीशुदा बहन के घर में रहे थे। एक बार बिना टिकट से रेल में सफर करने के गुनाह में मिल्खा सिंह को जेल भी जाना पड़ा था। बाद में बहन ने अपने कुछ गहने बेचकर वो पैसों से उनको बाहर लाया था। उन्होंने अपने जीवन के कुछ समय दिल्ली के शरणार्थी निवास में भी बीताया था। सिंह को एक समय पे अपने जीवन से भरोसा उठ गया था, इसलिए वो लुटेरा बनना चाह रहा था । लेकिन, उनके एक भाई से उत्साह पाकर उन्होंने आर्मी के एक योगदान दौर में हिस्सा लिया और चौथी बार में वो चुना गया। ये 1951 की बात है। उनको आर्मी की इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल इंजीनियरिंग केंद्र में नियोग किया गया था, जहां उनको दौर से परिचय हुआ था। सेना में दौर के एक विशेष प्रशिक्षण शिविर में उनको जगह मिला जब उसने एक दौर प्रतियोगिता पे छठा स्थान प्राप्त किया था। मिल्खा सिंह का कहना हे की बचपन में उनको 10 किलोमीटर दूरी की विद्यालय में दौर के जाना पड़ा था। मिल्खा सिंह ने सेना को धन्यवाद देके बोले की दूर गांव से आए एक लड़के को सिखाया ओलंपिक्स और दौर क्या चीज है।
मिल्खा सिंह ने अपने करियर में कुछ महत्वपूर्ण खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिए थे जैसे –
ब्रिटिश एम्पायर एंड कामनवेल्थ गेम्स, कार्डिफ 1958 – 440 यार्ड्स -स्वर्ण पदक
टोक्यो एशियाई गेम्स 1958 – 200 मीटर – स्वर्ण पदक
– 400 मीटर – स्वर्ण पदक
जकार्ता एशियाई गेम्स, 1962 – 400 मीटर – स्वर्ण पदक
– 400 मीटर रिले – स्वर्ण पदक
राष्ट्रीय खेल 1958 , कुट्टक – 200 मीटर – स्वर्ण पदक
– 400 मीटर – स्वर्ण पदक
राष्ट्रीय खेल , कलकत्ता , 1964 – 400 मीटर – रजत पदक

मिल्खा सिंह को सबसे बड़ा उपलब्धि 1960 रोम ओलंपिक्स में मिली जब उन्होंने 45.73 सेकण्ड्स समय में राष्ट्रीय अभिलेख बनाकर चौथा स्थान प्राप्त किया था। सन 2008 में मिल्खा सिंह को पत्रकार रोहित बृजनाथ ने ” भारत का सबसे अमूल खिलाड़ी ” खिताब से वर्णित किया।

सन 1960 में भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का सपना साकार करने के लिए पाकिस्तान में एक दौर प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। मिल्खा सिंह की दौर को देखते हुए तब पाकिस्तान की जनरल अयूब खान ने उन्हें ” फ्लाइंग सिख ” खिताब से नवाजा था। उसके बाद से ही मिल्खा सिंह को ” थे फ्लाइंग सिख ” नाम से जाना जाता है।

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