तरुण गोगोई अपने राजनीतिक जीवन में ६ बार सांसद बन चुके थे। तब असम में उग्रवादियों का प्रकोप चरम सीमा तक पहुंच गया था। वो था २००२ का समय। केंद्र में थी बाजपयी सरकार और असम में था असम गण परिषद की सरकार। उसी के बीचों – बीच असम में विधानसभा चुनाव हुआ। कांग्रेस पार्टी को चुनाव में बहुमत मिला। मुख्यमंत्री चुना गया तरुण गोगोई को। पहले नरसिम्हा राव की मंत्री मांडल में स्वतंत्र राजकीय मंत्री रह चुके तरुण गोगोई ने अपना अनुभव दिखाते हुए असम में शुरुआत से ही विकास के लिए काम किया। उग्रवादी समस्याओं का मजबूत तरीके से समाधान निकाला। पीछले सरकार के समय में सरकारी कर्मचारियों को तन्खा नही मिलते थे लेकिन तरुण गोगोई की सरकार में वो भी चालू हो गया। असम की जनता में आशा की नई किरण पैदा किया तरुण गोगोई की सरकार ने। बदौलत असम की जनता ने तरुण गोगोई के ऊपर विश्वास रखते हए दूसरी बार भी सरकार चलाने का दायित्व सौंपा। इसी तरह असम की जनता के प्यार से तरुण गोगोई कुल १५ साल (२००१ से २०१६) तक असम का मुख्यमंत्री बने रहे। जो असम २००२ से पहले देश के गरीब राज्यों में से एक थी, उस असम को तरुण गोगोई की नेतृत्व ने एक प्रगतिशील राज्य बना डाला। असम में शांति लाने में तरुण गोगोई का महत्वपूर्ण योगदान हैं। तरुण गोगोई असम में सबसे अधिक समय तक शासन में रहने वाले मुख्यमंत्री होने के साथ साथ सबसे लोकप्रिय नेता भी थे। उनकी १५ साल की शासन में असम को एक नई राह मिली । उनके देहाांत की बाद असम की जनता उनको ‘जननेता’ के नाम से पुकारने लगे।
तरुण गोगोई : २१वी सदी का असम की कलाकार
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